Surya Namaskar – जानिए सूर्य नमस्कार के 12 आसन, मंत्र, लाभ और नियम
इस ब्लॉग में हम निम्न बिंदुओं ध्यान देंगे
- सूर्य नमस्कार क्या है? – शरीर, मन और आत्मा का संतुलित संगम
- सूर्य नमस्कार के 12 आसन – एक सम्पूर्ण योग श्रृंखला
- सूर्य नमस्कार कैसे करें? – स्टेप-बाय-स्टेप गाइड
- सूर्य नमस्कार करते समय ध्यान देने योग्य नियम
- सूर्य नमस्कार के संभावित नुकसान – किन्हें सावधानी बरतनी चाहिए?
- सूर्य नमस्कार मंत्र – ऊर्जा जागरण के 12 पवित्र शब्द
- सूर्य नमस्कार कितनी बार करना चाहिए? – आपकी क्षमता के अनुसार चक्र
- सूर्य नमस्कार का सही समय – दिन की शुरुआत करने का सर्वोत्तम तरीका
सूर्य को नमस्कार करना क्यों ज़रूरी है?
जब दिन की शुरुआत सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक जागरूकता के साथ होती है, तो पूरा दिन एक नई रोशनी से भर जाता है। सूर्य नमस्कार यानी सूर्य को नमस्कार करना सिर्फ़ एक योग प्रक्रिया नहीं है, बल्कि हमारे शरीर, मन और आत्मा को संतुलित करने का एक पवित्र साधन है। यह प्राचीन भारतीय योग प्रणाली न केवल स्वास्थ्य लाभ देती है, बल्कि हमारे अंदर निहित चेतना को भी जागृत करती है।
Surya Namaskar क्या है?
Surya Namaskar (सूर्य नमस्कार) योग की एक शक्तिशाली और आध्यात्मिक श्रृंखला है, जिसमें 12 विशिष्ट शारीरिक मुद्राएँ (आसन) शामिल होती हैं। ये आसन सूर्य देव को श्रद्धा सहित नमस्कार करते हुए किए जाते हैं, जिनमें श्वास की लय, ध्यान की एकाग्रता और मंत्रों की ऊर्जा का अद्भुत समन्वय होता है। यह एक सम्पूर्ण योगाभ्यास है जो न केवल शरीर को लचीलापन और ऊर्जा प्रदान करता है, बल्कि मन को भी शांति और संतुलन की ओर ले जाता है।
सूर्य नमस्कार के 12 आसन नाम और तरीका (With Steps & Benefits)
प्रत्येक आसन का अपना महत्व है और उनका संयोजन पूरे शरीर का व्यायाम करने का काम करता है। नीचे सूर्य नमस्कार के 12 प्रमुख आसनों की सूची दी गई है:
1. प्रणाम आसन (Pranamasana – Prayer Pose)
विधि: सीधे खड़े हो जाएं, दोनों हाथों को जोड़कर छाती के सामने रखें।
लाभ: शरीर को स्थिर करता है, ध्यान केंद्रित करता है।
2. हस्त उत्तानासन (Hasta Uttanasana – Raised Arms Pose)
विधि: दोनों हाथों को सिर के ऊपर उठाते हुए धीरे-धीरे पीछे की ओर झुकें, जिससे शरीर में खिंचाव आए और छाती खुल सके।
लाभ: शरीर की स्ट्रेचिंग, फेफड़ों की क्षमता में वृद्धि।
3. पादहस्तासन (Padahastasana – Hand to Foot Pose)
विधि: झुककर दोनों हाथों से पैरों को छूने की कोशिश करें।
लाभ: पाचन शक्ति बढ़ती है, शरीर लचीला बनता है।
4. अश्व संचालनासन (Ashwa Sanchalanasana – Equestrian Pose)
विधि: दाएं पैर को पीछे ले जाकर घुटना ज़मीन पर रखें, बायां घुटना आगे झुका हो।
लाभ: मांसपेशियां मजबूत होती हैं, पाचन में सुधार।
5. दण्डासन (Dandasana – Stick Pose)
विधि: दोनों पैरों को पीछे कर लें और शरीर को सीधा रखें।
लाभ: शरीर को ताकत मिलती है, हाथ और रीढ़ मज़बूत होती है।
6. अष्टांग नमस्कार (Ashtanga Namaskara – Eight-Limbed Salutation Pose), जिसमें शरीर के आठ भाग धरती को स्पर्श करते हैं।
विधि: छाती, दोनों हथेलियाँ, घुटने, और पैर की उंगलियाँ ज़मीन पर टिकाएं।
लाभ: मांसपेशियों को संतुलन और ऊर्जा मिलती है।
7. भुजंगासन (Bhujangasana – Cobra Pose)
विधि: छाती को ऊपर उठाएं, कमर से पीछे की ओर झुकें।
लाभ: पीठ और मेरुदंड को ताकत मिलती है।
8. पर्वतासन (Parvatasana – Mountain Pose)
विधि: शरीर को उल्टे “V” आकार में लाएं, एड़ियाँ ज़मीन से सटी रहें।
लाभ: रक्त संचार बेहतर होता है, शरीर लचीला बनता है।
9. अश्व संचालनासन (Ashwa Sanchalanasana)
विधि: इस बार बाएं पैर को पीछे ले जाएं और दायाँ घुटना आगे रखें।
लाभ: रीढ़ को मजबूत करता है, शरीर में संतुलन लाता है।
10. पादहस्तासन (Padahastasana)
विधि: दोबारा खड़े होकर झुकें और पैरों को छुएं।
लाभ: पेट की चर्बी कम होती है, पाचन अच्छा होता है।
11. हस्त उत्तानासन (Hasta Uttanasana)
विधि: हाथ ऊपर उठाएं और पीछे की ओर झुकें।
लाभ: छाती और पेट खुलते हैं, शरीर की ऊर्जा बढ़ती है।
12. प्रणाम आसन (Pranamasana)
विधि: दोनों हाथों को जोड़कर नमस्कार की मुद्रा में खड़े हों।
लाभ: मन शांत होता है, अभ्यास का समापन।
इन 12 आसनों का एक चक्र होता है। दोनों पैरों को समान रूप से शामिल करने के लिए कम से कम दो चक्र किए जाते हैं।
Surya Namaskar (सूर्य नमस्कार) मंत्र
हर आसन के साथ एक विशेष बीज मंत्र का जाप किया जाता है। आध्यात्मिक ऊर्जा जागृत करने में सहायक हैं ये मंत्र:
- ॐ मित्राय नमः
- ॐ रविये नमः
- ॐ सूर्याय नमः
- ॐ भानवे नमः
- ॐ खगाय नमः
- ॐ पूष्णे नमः
- ॐ हिरण्यगर्भाय नमः
- ॐ मरिचये नमः
- ॐ आदित्याय नमः
- ॐ सवित्रे नमः
- ॐ अर्काय नमः
- ॐ भास्कराय नमः
यदि संभव हो तो मंत्र जाप का अभ्यास करें। यह ध्यान की गहराई और आध्यात्मिक शक्ति को बढ़ाता है।
सूर्य नमस्कार के १२ मंत्र की संपूर्ण जानकारी!
सूर्य नमस्कार कैसे करें?
चरण-दर-चरण प्रक्रिया:
प्राणामासन में खड़े हो जाएं और गहरी सांस लें और ध्यान केंद्रित करें।
प्रत्येक आसन के साथ साँस लेना या छोड़ना तय होता है।
गति धीमी रखें और प्रत्येक आसन में कम से कम 5 सेकंड तक रहें।
एक चक्र पूरा करने के बाद कुछ सेकंड आराम करें।
सुझाव: शुरुआत में 2-4 चक्र से शुरू करें और धीरे-धीरे इसे 12 तक बढ़ाएँ।
सूर्य नमस्कार के लाभ की संपूर्ण जानकारी (benefits of surya namaskar)
Surya Namaskar (सूर्य नमस्कार) के नियम
सूर्य नमस्कार करते समय कुछ नियमों का पालन करना बहुत ज़रूरी है:
इसे खाली पेट या भोजन के कम से कम 4 घंटे बाद करें।
सुबह सूर्योदय से पहले या सूर्योदय के समय सबसे अच्छा माना जाता है।
एक शांत और खुली जगह चुनें।
मन को शांत और एकाग्र रखें।
हर आसन के साथ सही साँस लेने की तकनीक अपनाएँ।
थकान की स्थिति में सूर्य नमस्कार न करें, आराम ज़रूरी है।
Surya Namaskar (सूर्य नमस्कार) के नुकसान (अगर ध्यान न दिया जाए)
हालाँकि सूर्य नमस्कार एक सुरक्षित योग तकनीक है, लेकिन कुछ स्थितियों में यह हानिकारक हो सकती है:
अगर आपको उच्च रक्तचाप, हर्निया या पीठ की गंभीर समस्या है तो डॉक्टर से सलाह लिए बिना इसे न करें।
मासिक धर्म या गर्भावस्था के दौरान इसे न करने की सलाह दी जाती है।
गलत मुद्रा और गलत साँस लेने से चोट या थकान हो सकती है।
अत्यधिक व्यायाम से शरीर में ऐंठन हो सकती है।
सलाह: हमेशा प्रशिक्षित योग शिक्षक के मार्गदर्शन में ही शुरुआत करें।
Surya Namaskar (सूर्य नमस्कार) कितनी बार करना चाहिए?
Surya Namaskar (सूर्य नमस्कार) की संख्या व्यक्ति की क्षमता और उद्देश्य पर निर्भर करती है:
शुरुआती लोगों के लिए: 2 से 4 चक्र
फिटनेस के लिए: प्रतिदिन 6 से 12 चक्र
वजन घटाने के लिए: 24 से 48 चक्र, लेकिन धीरे-धीरे बढ़ाएँ
सावधानी: शरीर की सीमा को समझें और उसी के अनुसार चक्रों की संख्या बढ़ाएँ।
Surya Namaskar (सूर्य नमस्कार) किस समय करना चाहिए?
सुबह: सूर्योदय सबसे उपयुक्त समय है क्योंकि उस समय वातावरण शुद्ध और ऊर्जावान होता है।
खाली पेट: भोजन के कम से कम 3-4 घंटे बाद करना चाहिए।
प्राकृतिक प्रकाश और ताज़गी: सूर्य की पहली किरणों से प्राप्त ऊर्जा शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होती है।
निष्कर्ष: सूर्य नमस्कार – शरीर, मन और आत्मा का मिलन
Surya Namaskar (सूर्य नमस्कार) केवल एक शारीरिक व्यायाम नहीं है, यह एक ध्यानात्मक अभ्यास है जो आंतरिक ऊर्जा को जागृत करता है और जीवन के हर क्षेत्र में सकारात्मकता भरता है। अगर नियमित रूप से और लगन के साथ इसका अभ्यास किया जाए तो यह तनाव, मोटापा, थकान और मानसिक बेचैनी से राहत दिला सकता है।
Surya Namaskar (सूर्य नमस्कार) को आज ही अपनी दिनचर्या में शामिल करें और स्वस्थ, सकारात्मक और ऊर्जावान जीवन की ओर बढ़ें।