COVID-19 sub-variant NB.1.8.1 अमेरिका में सक्रिय, भारत के लिए क्या संकेत?

 नए COVID-19 sub-variant NB.1.8.1 के मामले अमेरिका में सक्रिय : भारत के लिए क्या है खतरा?

COVID-19 sub-variant NB.1.8.1
COVID-19 sub-variant NB.1.8.1

Source – Canva(https://www.canva.com)

COVID-19 संकट भले ही पहले जैसा न हो, लेकिन वायरस अभी भी म्यूटेट हो रहा है। अमेरिका के वाशिंगटन राज्य में NB.1.8.1 नामक एक नया सबवेरिएंट सामने आया है, जिसने वैश्विक स्वास्थ्य एजेंसियों का ध्यान खींचा है।

COVID-19 जैसे वायरस समय-समय पर उत्परिवर्तित होते रहते हैं, जिससे नए वेरिएंट सामने आते हैं। इनमें से कुछ वेरिएंट तेजी से फैल सकते हैं या टीकों की प्रभावशीलता को कम कर सकते हैं।

अगर ऐसा कोई नया वेरिएंट भारत जैसे घनी आबादी वाले देश में प्रवेश करता है, तो संक्रमण बहुत तेज़ी से फैल सकता है। इसलिए, वैज्ञानिक संस्थानों द्वारा जीनोमिक निगरानी, ​​यानी वायरस के डीएनए की निगरानी करना बेहद ज़रूरी है।

नए वेरिएंट की समय पर पहचान और रिपोर्टिंग करके ही सरकारें तेज़ी से प्रतिक्रिया दे सकती हैं, जैसे यात्रा नियमों को कड़ा करना, टेस्टिंग बढ़ाना या टीकाकरण अभियान में तेज़ी लाना।

 NB.1.8.1 सबवेरिएंट क्या है?

यह नया वेरिएंट सबसे पहले मार्च-अप्रैल 2024 के दौरान अमेरिका में दिखाई दिया था और अब यह तेजी से फैल रहा है, जिसके कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे “वेरिएंट अंडर मॉनिटरिंग” श्रेणी में रखा है।

वाशिंगटन में 14 मामलों की पुष्टि हुई है।

अधिकांश मामले अंतरराष्ट्रीय यात्रियों से संबंधित हैं।

इन मामलों की पहचान CDC और एयरपोर्ट स्क्रीनिंग कार्यक्रमों द्वारा की गई थी।

भारत के लिए इसका क्या मतलब है?

हालांकि यह वेरिएंट फिलहाल अमेरिका तक ही सीमित है, लेकिन भारत जैसे देशों में जहां अंतरराष्ट्रीय यात्रा और जनसंख्या घनत्व अधिक है, ऐसे वेरिएंट का प्रवेश कभी भी संभव है।

भारत में सार्वजनिक परीक्षण की कमी, सामान्य जीवन में ढील और मास्क का कम उपयोग जैसे कारक संक्रमण की संभावना को बढ़ा सकते हैं।

क्या मौजूदा टीके इस वैरिएंट के खिलाफ प्रभावी हैं?

WHO और विशेषज्ञों के अनुसार, NB.1.8.1 वैरिएंट के खिलाफ अब तक कोई गंभीर लक्षण या अस्पताल में भर्ती होने की दर में वृद्धि नहीं देखी गई है।

भारत में उपलब्ध COVID टीके (कोविशील्ड, कोवैक्सिन, आदि) अभी भी गंभीर बीमारी से सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम माने जाते हैं।

भारत में वर्तमान निगरानी और तैयारी

अमेरिका में स्थिति कैसी है?

संक्रमण के मामले अमेरिका के कुछ राज्यों में अचानक बढ़े हैं, और जीनोमिक सीक्वेंसिंग में NB.1.8.1 वेरिएंट की मौजूदगी देखी गई है। CDC (Centers for Disease Control and Prevention) के अनुसार, यह वेरिएंट कुछ हफ्तों में 10% से अधिक मामलों में पाया गया है, जो चिंता का कारण है।

भारत में:

नए COVID-19 वैरिएंट्स की पहचान और निगरानी के लिए ICMR और INSACOG लगातार सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।

अगर जोखिम बढ़ता है तो सभी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर रैंडम टेस्टिंग फिर से शुरू की जा सकती है।

राज्यों को अलर्ट मोड पर रखा गया है ताकि समय पर कार्रवाई की जा सके।

भारत के लिए खतरे की स्थिति

अंतरराष्ट्रीय यात्रा एक बड़ा कारक

भारत और अमेरिका के बीच बड़ी संख्या में अंतरराष्ट्रीय यात्रा होती है। ऐसे में नया वेरिएंट भारत तक पहुंच सकता है, जैसा कि पहले के मामलों में देखा गया है।

मौजूदा वैक्सीनेशन कवरेज

भारत में अधिकांश आबादी को वैक्सीन की दोनों डोज़ मिल चुकी हैं और बूस्टर डोज़ भी लगाई गई है, लेकिन नए वेरिएंट के सामने इन वैक्सीन्स की प्रभावशीलता अभी स्पष्ट नहीं है।

स्वास्थ्य प्रणाली पर दबाव

हालांकि भारत की स्वास्थ्य प्रणाली ने पिछले COVID-19 वेव्स में काफी अनुभव हासिल किया है, लेकिन किसी भी नई लहर से निपटने के लिए पहले से तैयारी जरूरी है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में।

भारतीय नागरिकों को क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?

टीका लगवाना और बूस्टर खुराक लेना सुनिश्चित करें।

बुखार, खांसी या थकान जैसे लक्षणों को नज़रअंदाज़ न करें।

अंतर्राष्ट्रीय यात्रा के बाद खुद पर नज़र रखें।

स्वास्थ्य मंत्रालय या राज्य सरकार की गाइडलाइन का पालन करें।

By WHO : विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, वर्तमान टीकों से अभी भी गंभीर बीमारियों से सुरक्षा मिलने की उम्मीद है।

Source : https://cdn.who.int/media/docs/default-source/documents/epp/tracking-sars-cov-2/23052025_nb.1.8.1_ire.pdf

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निष्कर्ष

NB.1.8.1 भले ही अभी भारत में न हो, लेकिन यह एक चेतावनी है कि वायरस लगातार बदल रहा है। ऐसे में समय रहते सावधानी, वैज्ञानिक सलाह का पालन और सही जानकारी ही भारत को अगली संभावित लहर से बचा सकती है।

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